तेरा हूँ बाला
तेरा हूँ बाला इस हृदय गती के गुंजन का कारण ही है तू बाला । मायामयी यौवन के इस मय का मधुर नशा है तू बाला । चाँदनी सा निखार तेरे मुख मंडल का निशा तरणी है, हे! बाला । नैनो की इन श्यामल कतार का मन तेरा दास है, हे! बाला । तेरी वह निश्छल किलकारी भी मृदंग ताल सम बजती है । इस वैराग्य मन को भी तेरी पायल ही डसती है । ललाट के कुसुम पंखुड़ियों का भ्रमर यह दीवाना है बाला । आनन पर नागिन सी लटो का चंदन–भूजंग सम नाता है बाला । तेरी श्वेतांगी हाथों के पृष्ठ का स्पर्श अभिलाषी मैं, हूँ बाला । प्रेम वीणा झंकृत इस तरंग का सहश्र-प्रतिध्वनी में लिप्त हूँ बाला । ........मनोनय © Manah
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