तेरा हूँ बाला


तेरा हूँ बाला



इस हृदय गती के गुंजन का
कारण ही है तू बाला ।
मायामयी यौवन के इस मय का
मधुर नशा है तू बाला ।

चाँदनी सा निखार तेरे मुख मंडल का
निशा तरणी है, हे! बाला ।
नैनो की इन श्यामल कतार का
मन तेरा दास है, हे! बाला ।

तेरी वह निश्छल किलकारी भी
मृदंग ताल सम बजती है ।
इस वैराग्य मन को भी
तेरी पायल ही डसती है ।

ललाट के कुसुम पंखुड़ियों का
भ्रमर यह दीवाना है बाला ।
आनन पर नागिन सी लटो का
चंदन–भूजंग सम नाता है बाला ।

तेरी श्वेतांगी हाथों के पृष्ठ का
स्पर्श अभिलाषी मैं, हूँ बाला ।
प्रेम वीणा झंकृत इस तरंग का
सहश्र-प्रतिध्वनी में लिप्त हूँ  बाला । ........मनोनय © Manah



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